Thursday, December 22, 2011

बॉस



समीर: (पेपर टेबलावर ठेवून) थॅंक्यू. इट हॅज बीन नाइस वर्किंग विथ यू. (पॉज)
एक बात कहनी थी आपसे जाते जाते. क्यूं की अब फिर कब मुलाकात होगी पता नही, I think this is the right time to say it. साडे पांच साल पहले जब मैने इसी केबिन में कदम रखा और कहां गुड मॉर्निंग, तबसे लेकर आज तक, आपका चेहरा हमेशा एक जैसा रहा है. ना कोई मुस्कान, न एक्साईट्मेंट, न खुशी. फ़्लॅट. Absolutely FLAT.  वेल्कम करते हुए भी, और अब आज, गुड बाय करते समय भी. (पॉज)

किस चीज के बने हो आप?... इन्सान हो, परिवार वाले हो; हां.. एक बडी कंपनी के बॉस हो, रईस हो, काफी कुछ हासिल कर चुके हो... आप आखिरी समय कब मुस्कुराए थे सर? याद भी है आप को? पिछले महिने कंपनी का Annual Function था. कंपनी ने अच्छी तरक्की की इसलिये पार्टी थी, सब खुश थे, सब मजे ले रहे थे... लेकिन आप? आप तब भी येही, ये ही चेहरा लेकर घूम रहे थे. कंपनी की पिकनिक गई थी २ महिने पहले; सब के परिवार वाले साथ थे; ना तो आपने अंताक्शरी में हिस्सा लिया, ना ही डमशेराज में ना ही हाउजी में. बस में ड्रायव्हर के बाजू में बैठके उसे घडी घडी डांटते रहे, और बाकी समय या तो फोन पर बिजनेस टॉक करते रहे या दूसरे डायरेक्टर के साथ.




आप घर पे भी ऐसेही रहते हो क्या? क्या अपने बच्चों से बीवी से, ऐसाही गुस्सैल चेहरा लेकर बात करते हो? (बॉस गुस्से से देखता है) माफ करना; लेकिन सोच कर देखना. इस कंपनी में आपके प्रति respect कम और डर ज़्यादा है. आपकी बात निकले तो कोई न कोई ज़रूर कहता है की इन्हे हसनें के पैसे लगते है. खूंसट कहते है आप को. ऐसी ही इमेज चाहते हो आप अपनी? (पॉज)

ये बॉस वाले रोल से कभी तो अपने आपको बाहर निकालो सर.... हसा करो. हसने से आप छोटे नही हो जाओगे. आपकी पोज़िशन, आपकी हैसियत, आपके प्रति लोगोंका respect कम नही हो जाएगा. उलटा बढेगा. अगर आप यूंही रहे तो आगे जाके आपके परिवार वालोंको याद करना पडेगा के आप कब मुस्काए थे. कॉर्पोरेट वर्ल्ड में शायद आप उंची सीढीया तो चढ पाओगे, लेकिन लोगोंके दिल में उतरना शायद आपको कभी न मुम्किन हो. दीवार पर लगाने के लिये आपकी हसने वाली तस्वीर भी ’ढूंढनी पडेगी’... सर...

(बॉस बहुत गुस्से से देखता है, और कुछ कहने के लिये मूंह खोलता है)

... येस...येस... आपका गुस्सा अभी आपके चेहरे पे साफ दिख रहा है. ये भी कुछ कम नही. इसी तरह, अपनी खुशी, अपना दर्द, अपना प्यार, अपनी उत्सुकता... अपने चेहरे पे लाया करो.... हसा करो.

चलता हूं (मुस्काता है और चला जाता है.)

2 comments:

  1. boss ka chehra nahi , naqab hai ... ... kya aise boss aaj bhi hai ?

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  2. Haan ji bilkul hai. Naqaab jab chehra ban jaata hai to aadmi apne aap ko pehchaan nahi paata.

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